25 मार्च 1992.
दिन बुधवार, पाकिस्तान के क्रिकेट इतिहास का सबसे महान दिन जब मेलबॉर्न क्रिकेट ग्राउंड में आज से 30 साल पहले पाकिस्तान वर्ल्ड कप चैंपियन (World Champion 1992) बना था. यूं तो पाकिस्तान (Pakistan) की जीत के कई हीरो थे, जिसमें सबसे ख़ास थे युवा इंज़माम उल हक और वसीम अकरम. मगर पाकिस्तान की जीत का सेहरा बंधा कप्तान इमरान ख़ान (Imran Khan) के सिर. हालांकि वर्ल्ड कप जीतने के अपने सफ़र में पाकिस्तान भारत से हारा भी था लेकिन विश्वकप विजेता बनने के बाद इमरान ख़ान की शोहरत और रुतबा अपने चरम पर पहुंच गया.
25 मार्च 2022.
30 साल बाद दिन शुक्रवार, पाकिस्तान की संसद में 69 वर्षीय प्रधानमंत्री इमरान ख़ान (PM Imran Khan) के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा. सत्र 25 मार्च शुक्रवार सुबह 11 बजे शुरू होगा. दरअसल पाकिस्तान की प्रमुख विपक्षी पार्टी नवाज़ शरीफ की मुस्लिम लीग और बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने 8 मार्च को संसद सचिवालय में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. अविश्वास प्रस्ताव में कहा गया कि इमरान खान ने देश में भुखमरी के हालात पैदा कर दिए हैं और देश बर्बादी के कगार पर है. मीडिया से मुख़ातिब बिलावल भुट्टो ने एक बार फिर इमरान को “सेलेक्टेड” कहते हुए कहा कि उन्हें तुरंत इस्तीफ़ा दे देना चाहिए. लेकिन स्पीकर असद क़ैसर ने अविश्वास प्रस्ताव पर वोट कराने के लिए तारीख़ तय नहीं की, जबकि उन्हें 14 दिनों के अन्दर ऐसा कर देना चाहिए था. इस लेट लतीफ़ी से नाराज़ विपक्ष भड़क गया और उसने धमकी दे दी कि वो 22 और 23 मार्च को पाकिस्तान में ही होने वाले OIC यानी Organization of Islamic Cooperation की बैठक में धरना देगा. शुरुआत में तो इमरान ख़ान सरकार ने इस धमकी पर करारा हमला करते हुए विपक्ष को “ऐंटी पाकिस्तान” का ख़िताब दे डाला मगर विपक्ष को अडिग देखकर नैशनल असेंबली के स्पीकर ने तारीख़ का ऐलान कर कर दिया है. स्पीकर क़ैसर ने अनुच्छेद 54 (3) और 254 के तहत विशेष सत्र बुलाया है.
बहुमत का गणित
कुल 342 सदस्यीय नैशनल असेंबली में इमरान ख़ान को हटाने के लिए विपक्ष को 172 वोटों की जरूरत है. सत्ताधारी पीटीआई के पास सदन में 155 सदस्य हैं और सरकार में बने रहने के लिए कम से कम 172 सांसदों की ज़रूरत है. इमरान के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले उनकी पार्टी तहरीक़-ए-इंसाफ़ यानी PTI के क़रीब 24 MNA (सांसद) बागी हो गए हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि इमरान मनमानी कर रहे हैं और उनकी आवाज़ को पार्टी में ही दबा दिया जाता है. विपक्ष ने मौक़े का भरपूर फ़ायदा उठाते हुए इन सभी 24 सांसदों को इस्लामाबाद के सिंध हाउस में शिफ़्ट कर दिया है. इमरान ख़ान के मंत्री फ़वाद चौधरी ने बाग़ियों को बिका हुए करार दिया. जवाब देने के लिए सामने आए पार्टी के ही नाराज़ सांसद नदीम अफ़ज़ल जो सिंध हाउस में ही रुके हुए हैं. अफ़ज़ल ने कहा “PTI में आना एक भूल थी और पैसे का आरोप पूरी तरह से फ़र्ज़ी है. इस तरह ये सियासत को गंदा कर रहे हैं, इमरान को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.” इन हमलों से इमरान खान इतना बौखला गए कि उन्होंने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए भारत की तारीफ तक कर डाली. इमरान खान ने कहा कि भारत ने अपनी विदेश नीति अपने लोगों के फायदे के लिए हमेशा स्वतंत्र रखी जबकि हमसे पहले के नेताओं ने अपने फायदे के लिए विदेश नीति बेंच दी थी.
इमरान की रणनीति
इमरान चौतरफ़ा रणनीति पर काम कर रहे हैं. एक तरफ़ उन्होंने अपनी ही पार्टी के बाग़ी हुए सांसदों से कहा है कि अगर पार्टी में वापस आ जाते हैं तो वो उन्हें माफ़ करने को तैयार हैं, दूसरी तरफ उन्हें धमकाया भी है कि अगर बागी सांसद उनकी बात नहीं मानेंगे तो उनका ‘सामाजिक निकाला’ भी हो जाएगा. तीसरे क़दम के तहत इमरान ने अपने कार्यकर्ताओं के ज़रिये सिंध हाउस पर हमला किया ताकि बाग़ी 24 सांसदों को डरा कर और दबाव बना कर फिर से पार्टी को समर्थन देने पर मजबूर किया जा सके, मगर मौक़े पर तैनात सिंध पुलिस ने इस हमले को विफल कर दिया. इमरान का चौथा और आख़िरी रास्ता है, जनसमर्थन। 27 मार्च को इमरान ख़ान इस्लामाबाद में विशालकाय रैली का आह्वान किया है. इस रैली के ज़रिये इमरान ख़ान विपक्ष, सेना और पूरे पाकिस्तान को अपनी ताक़त दिखाएंगे. साथ ही साथ इमरान की कोशिश ये भी रहेगी कि वो दुनिया के सामने ये साबित कर सकें कि जनता उनके साथ है और उन्हें हटाने की कोशिश लोकतंत्र की हत्या है.
सेना क्या चाहती है?
पाकिस्तान में किसी की भी सरकार रहे, सेना का किरदार सबसे अहम होता है. बिलावल भुट्टो ज़रदारी इमरान खान को “सेलेक्टेड” इसीलिए कहते हैं क्यूंकि उनके मुताबिक़ इमरान “इलेक्टेड” ना होकर सेना के द्वारा “सेलेक्टेड” हैं लेकिन अब स्थितियां बदल गयी हैं. पाकिस्तान में चल रही ख़बरों के मुताबिक़ आर्मी चीफ क़मर जावेद बाजवा अब इमरान ख़ान से पूरी तरह निराश हो चुके हैं और डीजी (आईएसआई) लेफ़्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम सहित चार सीनियर जनरलों के साथ चर्चा के बाद इमरान ख़ान को पद छोड़ने के लिए कह दिया गया है. आर्मी चीफ़ बाजवा की नाराज़गी की 4 बड़ी वजहें बताई जा रही है. पहली वजह: इमरान ख़ान की यूक्रेन संकट पर अमेरिका और यूरोपीय संघ के ख़िलाफ़ अनावश्यक बयानबाज़ी, इमरान ख़ान ने यूरोपियन देशों के समर्थन मांगने पर कहा था कि पाकिस्तान पश्चिमी देशों का ग़ुलाम नहीं है. यूरोप से सम्बन्ध सुधारने में जुटे बाजवा को इमरान की इस भाषा से काफ़ी शर्मिंदगी उठानी पड़ी. दूसरी वजह अफ़गानिस्तान को लेकर इमरान ख़ान ने जिस तरह से अमेरिका और पश्चिमी देशों के खिलाफ टिप्पणियां की हैं, उससे पाकिस्तान की सेना में भारी नाराज़गी है. तीसरी वजह इमरान की चीन से नज़दीकी है. दरअसल सालों से पाकिस्तान की सेना अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रही है लेकिन इमरान ख़ान के चीनी पैतरों की वजह से अमेरिका बिदक रहा है. चौथी वजह है इमरान ख़ान का बड़बोलापन. इमरान ख़ान ने एक रैली में हज़ारों लोगों के सामने कह दिया कि आर्मी चीफ़ बाजवा ने मुझसे कहा है कि आप मौलाना फ़ज़ल उर रहमान को डीज़ल ना बुलाया करें. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बाजवा इससे काफ़ी नाराज़ हुए क्यूंकि वो हरगिज़ नहीं चाहते कि उनका नाम राजनीति में घसीटा जाए.
यानी शतरंज की बाज़ी बिछ चुकी है और सभी अपने मोहरों के साथ तैयार हैं. अब 30 साल बाद ये 25 मार्च इमरान ख़ान के लिए क्या लेकर आयेगा इस पर सबकी नज़र होगी.
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