नई दिल्ली: एक क्रान्तिकारी सर्जरी को आज 41 दिन, 948 घंटे और लगभग 60 हजार मिनट बीत चुके हैं. 7 जनवरी को अमेरिका में जिस 57 वर्ष के व्यक्ति के शरीर में सुअर का ह्रदय लगा कर एक बहुत बड़ा प्रयोग किया गया था, अब वो लगभग सफल हो गया है.
सफल हुआ प्रयोग
अमेरिका की Maryland University ने बताया है कि पहले की तुलना में इस व्यक्ति का स्वास्थ्य काफी बेहतर हुआ है और आने वाले कुछ दिनों में उसे अस्पताल से छुट्टी भी मिल सकती है. अगर ऐसा हो गया तो ये मेडिकल इतिहास का आज तक का सबसे बड़ा चमत्कार होगा. क्योंकि इससे पहले जब वर्ष 1997 में एक मरीज के शरीर में सुअर का ह्रदय लगाया गया था, तब उसकी 7 दिन के बाद ही मृत्यु हो गई थी. लेकिन इस बार सर्जरी को 41 दिन बीतने के बावजूद ये व्यक्ति स्वस्थ है और इसकी हालत स्थिर बनी हुई है.
पहला पड़ाव हुआ पार
विज्ञान की भाषा में इस तरह के Heart Transplant को, Xeno (जेनो) Transplant Surgery कहा जाता है और इस सर्जरी को तीन चरणों में बांटा जाता है. पहले चरण में जब किसी इंसान के शरीर में किसी जानवर का ह्रदय लगाया जाता है, तब शुरुआत के 10 दिन सबसे ज्यादा मुश्किल होते हैं. क्योंकि इन 10 दिनों में इस सर्जरी के Side Effects दिख जाते हैं और मरीज की मृत्यु का भी जोखिम रहता है. लेकिन इस केस में अमेरिका के डॉक्टरों ने 10 दिन की इस बाधा को 17 जनवरी को ही सफलतापूर्वक पार कर लिया था.
दूसरे चरण में भी क्लीन चिट
दूसरे चरण में सर्जरी के एक महीने बाद मरीज के ह्रदय की जांच की जाती है और ये देखा जाता है कि क्या जानवर का ह्रदय, इंसान के शरीर में वैसा ही व्यवहार कर रहा है, जैसा व्यवहार इंसान का ह्रदय करता है और इस चरण में भी डॉक्टरों को कामयाबी मिली है.
तीसरे चरण के लिए तैयार डॉक्टर?
अब इस प्रयोग का तीसरा चरण तब शुरू होगा, जब इस मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिल जाएगी और वो सामान्य जीवन में वापस लौट जाएगा. अभी क्योंकि ये व्यक्ति अस्पताल में मेडिकल सपोर्ट पर है, इसलिए डॉक्टर इस सर्जरी को सफल तो मान रहे हैं लेकिन वो इस बात की भी पूरी तसल्ली करना चाहते हैं कि सुअर का ह्रदय किसी इंसान की जान कितने दिन तक बचा कर रख सकता है. इस सर्जरी ने पूरी दुनिया को एक नई उम्मीद दी है. क्योंकि इससे इस बात को प्रामाणिकता मिली है कि इंसान में सुअर के दूसरे अंगों को भी Transplant किया जा सकता है.
ब्रेन डेड मरीज पर एक और एक्सपेरीमेंट
20 जनवरी को अमेरिका के मशहूर मेडिकल जर्नल, American Journal of Transplantation ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि डॉक्टरों ने इंसान में सुअर का ह्रदय लगाने के बाद, एक ब्रेन डेड मरीज के शरीर में सुअर की Kidney Transplant में भी सफलता हासिल कर ली है और ये प्रयोग भी अब अपने दूसरे चरण में पहुंच गया है.
नए जीवन देने की उम्मीद में हो रहे प्रयोग
इसका सीधा सा मतलब ये है कि, इस पृथ्वी पर सुअर एक ऐसा जानवर बन सकता है, जो Organ Transplants की वजह से हर साल जान गंवाने लाखों वाले लोगों को नया जीवनदान दे सकता है. डॉक्टरों का मानना है कि अगर सुअर के अंगों को Genetically Modified किया जाए तो ये अंग, Immunology के मामले में इंसानों के थोड़ा करीब हो जाते हैं और उन्हें नया जीवन दे सकते हैं.
सुअर के अंगों से ठीक हो सकेंगे इंसान?
अगर, सुअर का ह्रदय इस व्यक्ति को नया जीवनदान देता है तो ये प्रयोग दुनिया के उन लाखों लोगों की जान बचाने में कामयाब रहेगा, जिनका Organs की कमी की वजह से Heart Transplant नहीं हो पाता. अभी भारत में Heart की जरूरत वाले हर 147 लोगों में सिर्फ 1 को ही ये Organ मिल पाता है. दिल के अलावा सुअर के दूसरे अंग भी इंसानों की जान बचा सकते हैं.
Organs की कमी से होती हैं मौतें
इंसान के शरीर के जिन 17 अंगों को दान किया जा सकता है, उनमें प्रमुख है, Heart, Lungs, Liver और Kidneys. जब किसी मरीज को ये Organs नहीं मिल पाते तो उसकी मृत्यु हो जाती है. अकेले भारत में हर दिन 300 लोगों की मौत समय पर Organs नहीं मिलने से होती है.
बॉडी Organs की खास किल्लत
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ऐसा इसलिए है क्योंकि अंगदान के मामले में हमारे देश में जागरूकता की बहुत कमी है. देश में हर वर्ष Organ Transplant के लिए 5 लाख अंगों की जरूरत होती है. लेकिन जरूरत के मुताबिक Organs नहीं मिल पाते हैं.
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हर वर्ष 2 लाख Cornea की जरूरत है लेकिन सिर्फ 50 हजार ही दान किए जाते हैं.
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Kidney के मामले में ये अंतर और भी ज्यादा है. हर वर्ष 2 लाख Kidneys की मांग है लेकिन मिलती हैं सिर्फ 1684.
ये स्थिति कितनी गम्भीर है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि देश में हर 10 लाख लोगों में 1 व्यक्ति भी अंगदान नहीं करता है. जबकि अमेरिका में हर 10 लाख लोगों में 32 और स्पेन में 46 लोग Organ Donate करते हैं. ऐसे में अगर जानवरों के Organs, इंसानों को नया जीवनदान देने लगे, तो ये बहुत बड़ा चमत्कार होगा.
मुस्लिम डॉक्टर्स का विरोध क्यों?
इस क्रान्तिकारी सर्जरी की आज पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है. लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस प्रयोग को सफल बनाने वाले अमेरिका के एक मुस्लिम डॉक्टर को अपने ही परिवार में विरोध और अपमान का सामना करना पड़ रहा है. इस डॉक्टर का नाम है, मोहम्मद मोहिउद्दीन, जो मूल रूप से पाकिस्तान के हैं और अमेरिका की Maryland University में Cardiac जेनो Transplantation विभाग में डॉयरेक्टर के पद पर हैं. उनका आरोप है कि, जब वो सर्जरी के बाद अपने घर गए तो उनके पिता ने नाराजगी जताते हुए उनसे ये सवाल पूछा कि क्या उन्हें सूअर के बदले किसी और जानवर का ह्रदय नहीं मिला? दरअसल, इस्लाम में सुअर को वर्जित माना गया है और इसी वजह से अब इस मुस्लिम डॉक्टर की आलोचना हो रही है. हालांकि इस डॉक्टर का कहना है कि उनका सबसे बड़ा धर्म, किसी इंसान की जान बचाना है और इसीलिए उन्हें लगता है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया.
हिंदू धर्म में पहले ही हो चुका है ये चमत्कार?
वैसे इंसान के शरीर में किसी जानवर के अंग प्रत्यारोपित करने की कोशिश नई नहीं है. हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यताओं में ऐसे कई प्रसंग और कहानियों का उल्लेख मिलता है, जिनमें जानवरों के अंगों का इस्तेमाल किया गया. मान्यता है कि दुनिया का पहला जेनो Transplant भारत में ही किया गया था और ये सर्जरी भगवान शिव ने की थी. एक बार भगवान शिव ने क्रोधित होकर अपने पुत्र गणेश का सिर, धड़ से अलग कर दिया था. लेकिन बाद में उन्हें पश्चाताप हुआ और उन्होंने एक हाथी का सिर, गणेशजी के शरीर के साथ लगा दिया था.
प्राचीन भारत के महान चिकित्साशास्त्री, सुश्रुत को तो पूरी दुनिया में Father of Surgery माना गया है. सुश्रुत ने आज से ढाई हजार साल पहले सुश्रुत संहिता नाम से एक ग्रंथ लिखा था, जिसमें उन्होंने अनेक प्रकार की सर्जरी का विस्तार से वर्णन किया है.