इसरो के चैयरमैन प्रोफेसर सोमनाथ एस. आईआईटी बीएचयू के कॉनवोकेशन में शामिल होने के लिए वाराणसी आए थे. 32 साल में यह ऐसा दूसरा मौका था जब वह वाराणसी आए. उन्होंने वहां भविष्य की रोबोट की टेक्नोलॉजी पर भी बात कि उन्होंने बताया कि इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन रोबोट की एक ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है जिसके आने के बाद रोबोट भी इंसानों की तरह बर्ताव करेंगे. वह इंसानों की फीलिंग्स को समझेंगे और उनसे मन की बात भी करेंगे.
उन्होंन रोबोट की बात मिशन मंगल के संदर्भ में की. उन्होंने कहा कि मिशन मंगल में भारत को न केवल कामयाब होना है बल्कि टॉप पर भी पहुंचना है. इसलिए उन्होंने कहा कि हम ऐसे रोबोट बनाएं अंतरिक्ष में वह केवल काम ही न करें, बल्कि इंसानों की तरह वहां के एनवायमेंट और हालात को फील भी करें. उन्होंने कहा रोबोट का ऑप्शन इसलिए भी अच्छा है ताकि मिशन में कम खर्चा हो.
कैसे काम करते हैं ऐसे रोबोट
जो रोबाोट इंसान की तरह चल-फिर सकते हैं और इंसानों के एक्सप्रेसन भी समझ सकते हैं. यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्रामिंग के जरिए सवालों के जवाब भी दे सकते हैं. ऐसे रोबोट के दो खास हिस्से होते हैं, जो उन्हें इंसान की तरह प्रतिक्रिया देने और चलने फिरने में मदद करते हैं.ये दो हिस्से हैं- सेंसर्स और एक्च्यूएटर्स.
सेंसर की मदद से रोबोट अपने आस-पास के एनवायरमेंट को समझते हैं. कैमरा, स्पीकर और माइक्रोफोन जैसे डिवाइस सेंसर्स से ही कंट्रोल होते हैं. रोबोट इनकी मदद से देखने, बोलने और सुनने का काम करते हैं. इसमें खास तरह की मोटर एक्च्यूएटर लगी होती है, जो रोबोट को इंसान की तरह चलने और हाथ-पैरों चलाने में मदद करती है. सामान्य रोबोट की तुलना में एक्च्यूएटर्स की मदद से रोबोट विशेष तरह के एक्शन कर सकते हैं.
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