गूगल ने अपने वल्नेरेबिलिटी रिवॉर्ड प्रोग्राम के तहत अमन को 2021 के टॉप 5 रिसर्चर में से चुना है और उन्हें 65 करोड़ रुपये का ईनाम दिया है। अमन 2019 से ही गूगल की कमियों को खोजने का काम कर रहे हैं और अब तक 280 से ज्यादा वैलिड बग्स की पहचान कर चुके हैं। ये बग्समिरर (Bugsmirror) के फाउंडर और सीईओ भी हैं। बग्समिरर अमन का अपना स्टार्टअप है जो उन्होंने 2019 में शुरू किया था। इसके को-फोउंडर मानस के साथ मिलकर अब तक यह विभिन्न कंपनियों के सॉफ्टवेयर में 600 से ज्यादा बग्स की पहचान कर चुके हैं। 2021 में अमन पांडे ने गूगल के वल्नेरेबिलिटी रिवॉर्ड प्रोग्राम के तहत एंड्रॉयड में 232 कमियां निकाली थीं।
अमन के स्टार्टअप Bugsmirror ने Google, Samsung, और Apple के बनाए गए सॉफ्टवेयर में कमियां निकाली हैं। इन्होंने इस स्टार्टअप की शुरुआत 2019 में तब की थी जब इन्होंने गूगल की एक एप्लीकेशन में एक बग ढूंढ निकाला था जिसके लिए कंपनी ने इनको 70 हजार रुपये का ईनाम दिया था। उस समय अमन पांडे एक स्टूडेंट थे।
अमन के अनुसार, उन्होंने बग्समिरर की शुरुआत लोगों को साइबर सिक्योरिटी देने के लिए की थी ताकि साइबर अटैक से कंपनियों को सुरक्षित रखा जा सके। अब इनकी कंपनी को इंडियन कंपनियों से भी बिजनेस मिल रहा है।
अमन पांडे ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और बीटेक ग्रेजुएट हैं। इन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई एनआईटी भोपाल से की है। ये मोबाइल ऐप डेवलेपमेंट, जावा, सॉफ्टवेयर आदि को डेवलेप करने में कुशल हैं और लगभग 4 साल से सिक्योरिटी रिसर्च कर रहे हैं। गूगल की इस प्रतियोगिता में दुनिया भर से 100 के लगभग टेक एक्सपर्ट्स ने हिस्सा लिया था।
गूगल अक्सर इस तरह के प्रोग्राम चलाती है जिनमें इसके प्रोडक्ट्स में कमियां या बग्स को ढूंढ निकालने वाले लोगों को ईनाम दिया जाता है। अमन का कहना है कि गूगल की ओर अभी तक उनको करोड़ों रुपये की राशि ईनाम के रूप में मिल चुकी है। वह अभी इस क्षेत्र में और अधिक रिसर्च करना चाहते हैं।
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