Mother-Son Relationship : मां-बेटे का रिश्ता बहुत ही प्यारा और खास होता है. मां अपने बेटे को कभी दुखी नहीं देखना चाहती. बेटा चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए, वो मां के लिए हमेशा बच्चा ही रहता है. मां अपने बच्चे के लिए हर दुख झेल लेती है, ताकि उसका लाल एक अच्छी जिंदगी पा सके. यही नहीं एक मां को जितनी ज्यादा चिंता अपनी बेटी की होती है, उससे कई ज्यादा फिक्र अपने बेटे की होती है. बेटे के साथ भी कुछ ऐसा ही है कि वो अक्सर अपनी मां के बताए कदमों पर चलता है. वहीं, बेटे के लिए मां धरती पर मौजूद भगवान समान होती हैं, इसलिए वो भी मां का पूरी तरह से ध्यान रखता है और उससे प्यार करता है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे वो पांच तरीके, जिनकी मदद से आप भी बेटे के साथ अपनी बॉन्डिंग को स्ट्रांग कर सकती हैं.
बेटे की दोस्त बनें
ज्यादातर लड़के-लड़कियां आज के समय में अपने पेरेंट्स से ज्यादा बातें शेयर करना नहीं चाहते. एक मां को हर पल अपने बच्चों की चिंता लगी रहती है. ऐसे में आप कोशिश करें कि आप अपने बेटे की दोस्त बनें, जिससे वो आपके साथ अपनी सभी बातें शेयर कर सके.बच्चों के दोस्त बनना जरूरी है और क्वालिटी टाइम स्पेंड करना भी.लेकिन यह बात हमेशा याद रखें कि दोस्त बनने से पहले आप उनकी मां हैं. कई बार हम बच्चों के दोस्त बनने की कोशिश में यह बात भूल जाते हैं. किशोरावस्था में बच्चों का फ्रेंड सर्कल अलग होता है, इसलिए ध्यान रखें कि दोस्त बनने से पहले पैरेंट बनें.
महत्व समझाएं
इस बात में कोई दोराय नहीं कि एक मां हमेशा अपने बेटे का पालन-पोषण भावुक होकर करती है ताकि बच्चा दूसरों की भावनाओं को समझ सके. वहीं, एक बेटा जो अपनी मां के बेहद करीब होता है वो किसी भी परिस्थिति में दूसरों का दिल नहीं दुखाएगा. अगर कभी भूल-चूक में उससे ऐसा कभी हो भी जाता है तो वह मीठे शब्दों का लेप लगाना नहीं भूलेगा. इसलिए मां-बेटे आपस में ऐसी दोस्ती जरूर कायम करें, जिसके सहारे वो दोनों आसानी से एक-दूसरे से अपने मन की बात को कह पाएं. यही नहीं, एक मां को भी इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि वो अपने बेटे को वह सभी आदतें सिखाए जो दूसरों के काम आ सके.
घर में हाथ बटाना बेटे को भी सिखाएं
ऐसा नहीं है कि घर के काम में हाथ बटानें कि जिम्मेदारी सिर्फ बेटियों को है, बेटे को भी घरों के काम में शामिल करना चाहिए. ताकि उसे बारबरी का अधिकार समझ में आए.
बेटी ही नहीं, बेटे पर भी दें ध्यान
आप बेटे पर भी उतना ही ध्यान दें जितना आप बेटी पर दे रही हैं, वरना तो वो आपसे दूर होने लगेगा. इसलिए बेहतर यही होगा कि आप पूरे हफ्ते में 2 दिन निकालकर अपने बच्चों के साथ बातचीत करें और उन्हें अच्छी-अच्छी बातें सिखाएं.
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