योजना के अनुसार, मिनिस्ट्री KSTAR एक्सपेरिमेंट्स के क्षेत्र में ऑपरेटिंग तकनीक में सुधार करती रहेगी। बीते वक्त में इसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं। जैसे- इस साल 30 सेकंड के लिए 100 मिलियन डिग्री अल्ट्रा-हाई तापमान मेंटेन किया गया था। अब 2026 तक ऐसी तकनीक विकसित की जानी है, जो 300 सेकंड के लिए इतना तापमान मेंटेन कर सके।
आर्टफिशियल सूर्य के रोशनी और गर्मी पैदा करने का मूल सिद्धांत परमाणु संलयन है। सरकार KSTAR के साथ पृथ्वी पर इस सिद्धांत को कृत्रिम रूप से लागू करके बिजली पैदा करने का लक्ष्य बना रही है। कोरियाई रिसर्च टीम ने 2018 में पहली बार KSTAR को 1.5 सेकंड के लिए 100 मिलियन डिग्री पर मेंटेन किया था। पिछले साल इसे 20 सेकंड और इस साल 30 सेकंड के लिए 100 मिलियन डिग्री पर मेंटेन किया गया।
सरकार ने भविष्य में परमाणु संलयन के जरिए बिजली पैदा करने के बेसिक कॉन्सेप्ट भी तय किए। इसके साथ ही साल 2030 तक जरूरी नेटवर्क समेत ‘R&D रोडमैप’ बनाने की योजना भी प्रस्तुत की।
गौरतलब है कि चीन भी कृत्रिम सूर्य बनाने पर काम कर रहा है। चीन के एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपरकन्डक्टिंग टोकामक (EAST) ने इस साल एक नया रिकॉर्ड बना दिया। प्रयोग के तहत 101 सेकेंड समय तक 216 मिलियन फॉरेनहाइट यानी कि 120 मिलियन सेल्सियस का प्लाज्मा तापमान बनाकर रखा गया। इतना ही नहीं, “कृत्रिम सूर्य” पर काम कर रहे वैज्ञानिक 288 मिलियन फॉरेनहाइट (160 मिलियन सेल्सियस) का तापमान 20 सेकेंड तक बनाए रखने में कामयाब हुए।
हेफई के इंस्टीच्यूट ऑफ प्लाज्मा फिजिक्स ऑफ द चाइनीज़ एकेडमी ऑफ साइंसेज (ASIPP) में स्थित टोकामक डिवाइस को परमाणु संलयन प्रक्रिया को रिप्रोड्यूस करने के लिए डिजाइन किया गया है। यही प्रक्रिया सूर्य और अन्य तारों में भी घटित होती है जिससे उष्मा और प्रकाश उत्पन्न होता है। यह प्रयोग नियंत्रित न्यूक्लियर फ्यूज़न के द्वारा असीमित स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध करवाने हेतु किया गया था। इससे पिछला रिकॉर्ड 180 मिलियन फॉरेनहाइट (100 मिलियन सेल्सियस) को 100 सेकेंड तक बनाए रखने का था जो कि अब टूट गया है। न्यूक्लियर फ्यूज़न के साथ काम करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।
कोरोना और चीन दोनों ही देश कृत्रिम सूर्य के जरिए भविष्य की अपनी उर्जा जरूरतों को पूरा करने का लक्ष्य बना रहे हैं।
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