घेंघा
रोग
के
प्रकार
घेंघा
रोग
मुख्य
रूप
से
चार
प्रकार
का
होता
है।
साधारण
घेंघा
रोग:
इसमें
थायराइड
ग्रंथि
बढ़ने
लगती
है
और
आयोडीन
की
कमी
होने
लगती
है।
लेकिन
कोई
ट्यूमर
नहीं
बनता।
डिफ्यूज
टॉक्सिक
गोइटर:
इसमें
थायराइड
ग्रंथि
बढ़ती
है
और
डिप्रेशन
और
दिल
की
समस्या
भी
हो
सकती
है।
इस
समस्या
में
थायरोस्टैटिक
सही
से
काम
नहीं
करती।
नॉनटॉक्सिक
गोइटर:
इस
समस्या
में
सूजन
के
साथ-साथ
थायराइड
ग्रंथि
का
विकास
होता
है।
टॉक्सिक
नोड्यूलर
गोइटर:
इस
प्रकार
के
घेंघा
में
55
साल
से
अधिक
वाले
लोगों
को
होता
है,
इसमें
थायराइड
ग्रंथि
बढ़ती
है
और
ग्लैंड
का
आकार
बढ़ने
लगता
है
और
गांठ
बनने
लगती
है।

लक्षण
1.
अधिक
मात्रा
में
पसीना
आना
2
–
ज्यादा
भूख
लगना
3
–
गर्मी
सहन
न
कर
पाना
4
–
सुस्ती,
थकान
या
कमजोरी
महसूस
करना
5
–
गले
के
अंदरूनी
हिस्से
में
दर्द
महसूस
करना
6
–
गला
खराब
होना
7
–
खांसी
होना
8
–
सांस
लेने
में
दिक्कत
महसूस
करना
9
–
वजन
कम
होना
10
–
घबराहट
महसूस
करना
है
11
–
सांस
लेते
वक्त
आवाज
महसूस
करना।

घेंघा
रोग
के
कारण
धूम्रपान:
तंबाकू
के
धुएं
में
थायोसाइनेट
आयोडीन
के
अवशोषण
में
बाधा
डालता
है
और
थायरॉयड
ग्रंथि
के
बढ़ने
का
कारण
बन
सकता
है।
हार्मोनल
परिवर्तन:
गर्भावस्था,
यौवन
और
रजोनिवृत्ति
थायराइड
समारोह
को
प्रभावित
कर
सकते
हैं।
थायरॉइडाइटिस:
संक्रमण
के
कारण
होने
वाली
सूजन
हो
सकती
है।
लिथियम:
यह
मनोरोग
दवा
थायराइड
के
कार्यशैली
में
हस्तक्षेप
कर
सकती
है।
बहुत
अधिक
आयोडीन:
यह
एक
सूजे
हुए
थायरॉयड
को
ट्रिगर
कर
सकता
है।
गर्भावस्था
–
गर्भावस्था
के
दौरान
ह्यूमन
कोरियोनिक
गोनाडोट्रोपिन
हार्मोन
बनता
है
तो
उसके
कारण
भी
थायराइड
ग्रंथि
बढ़ने
लगती
है।

घेंघा
रोग
से
इलाज
और
बचाव
घेंघा
रोग
से
बचने
के
लिए
आहार
में
बदलाव
करके
इस
समस्या
को
रोका
जा
सकता
है।
हार्मोन
थायराइड
हार्मोन
के
लिए
आयोडीन
जरूरी
तत्व
है।
ऐसे
में
अपने
आहार
में
आयोडीन
युक्त
भोजन
जोड़ें।
उदाहरण
के
तौर
पर
मछली,
कॉर्न,
सूखी
आलू
बुखारा,
सेब
का
जूस,
मटर,
अंडा,
दूध,
दही,
चीज,
सेब,
केला
आदि।
धूम्रपान
करने
से
बचें।
धूम्रपान
करने
से
समस्या
और
बढ़
सकती
है।
सफाई
का
ध्यान
रखें।
अपनी
दिनचर्या
में
व्यायाम
और
मेडिटेशन
को
जोड़ें।
उचित
मात्रा
में
पानी
चाहिए।
आयोडीन
की
अधिकता
भी
घेंघा
रोग
को
जन्म
दे
सकती
है।
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