फिर भी, बिटकॉइन की कीमत इस साल तीसरी बार 50,000 डॉलर (लगभग 37.56 लाख रुपये) के निशान को पार कर गई है। हालांकि यह रुझान ये भी दिखाता है कि डिजिटल कॉइन जितनी तेजी से चढ़ सकता है, उतनी ही तेजी से गिर भी सकता है। मगर साथ ही इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि बिटकॉइन में निवेश अंत में कहीं न कहीं फायदेमंद साबित हो सकता है।
जेपी मॉर्गन के नोट में कथित तौर पर यह पढ़ने को मिला, “इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स बिटकॉइन की ओर लौट रहे हैं, शायद वे इसे सोने की तुलना में इनफ्लेशन के बेहतर बचाव का तरीका मानते हैं।” कंपनी की इस ऑब्जर्वेशन पर कमेंट करते हुए, Fortune मैग्जीन ने कहा कि यह नोट उन लोगों के लिए “कोई आश्चर्य की बात नहीं है” जो इस साल बिटकॉइन की परफॉर्मेंस को ध्यान से देखते आ रहे हैं।
इस साल बिटकॉइन में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। फरवरी में, इसने पहली बार 50,000 डॉलर का आंकड़ा पार किया और फिर अप्रैल में लगभग 64,000 डॉलर (लगभग 48.08 लाख रुपये) के अपने सबसे ऊंचे लेवल पर पहुंच गया। मई में बड़े पैमाने पर क्रिप्टोकरेंसी मार्केट क्रैश हुआ और बुल रन कम हो गया। उस वक्त बिटकॉइन ने इस साल की अपनी सभी अचीवमेंट खो दीं। क्रैश इतना जबरदस्त था कि यह 30,000 डॉलर (लगभग 22.53 लाख रुपये) की ट्रेड वैल्यू से भी नीचे आ गया।
उस मंदी से बाहर निकलने में क्रिप्टोकरेंसी को कुछ समय लगा और जुलाई तक यह फिर से 40,000 डॉलर (लगभग 30.05 लाख रुपये) के आसपास ट्रेड कर रहा था। अगस्त में बिटकॉइन ने फिर से 50,000 डॉलर के लेवल को पार किया। एक महीने बाद इसने तीसरी बार माइल स्टोन को हिट किया। बिटकॉइन सोमवार 11 अक्टूबर को सुबह 11 बजे (IST) तक 44 लाख रुपये पर ट्रेड कर रहा था।
JP Morgan का मानना है कि ये तीसरी रैली निवेशकों की इनफ्लेशन से बचाव की चिंता के कारण उठी है। वे बिटकॉइन को इनफ्लेशन के खिलाफ बचाव के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं।