kashi Dham
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और अब हम बात कर ली काशी विश्वनाथ धाम की खास बातों के बारे में काशी विश्वनाथ मंदिर करीबसावा 5 लाख स्क्वायर फीट में बना है साथ ही यह पूरी तरह बनकर तैयार हो चुका है, इस भव्य कारीडोर में ऐसा बताया जा रहा है कि छोटी बड़ी 13 इमारत और 27 मंदिर हैं, और इस परियोजना में ऐसा बताया जा रहा है कि अब से काशी विश्वनाथ आने वाले कोई भी श्रद्धालुओं को गलियों और किसी भी छोटे-मोटे रास्ते से आने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि इसके लिए रास्ता बना दिया गया है, और इस कॉरिडोर को लगभग 50 हजार मीटर वर्ग के बड़े परिसर में बनाया दिया गया है, और साथ ही इस कारीडोर को तीन भागों में बांटा गया है, इसके बाद इसमें 4 बड़े बड़े गेट और प्रदक्षिणा पथ पर संगमरमर के 22 शिलालेख लगा दिए गए हैं, जिसने का शिव की महिमा का विस्तार से बताने की कोशिश की गई है, इसके अलावा कई अन्य सुविधाओं को भी दिया गया है, जिसमें कि मंदिर चौक मुमुक्षु भवन, यात्री सुविधा केंद्र, शॉपिंग मॉल, मल्टीपर्पज हॉल, सिटी म्यूजियम वाराणसी गैलरी जैसे कई अन्य सुविधाएं दि गयी है, जिसके वजह से वहां पर आने वाले श्रद्धालु इन सभी का लाभ आसानी से उठा सकेंगे |
अगर हम बात करें काशी विश्वनाथ मंदिर की इतिहास के बारे में तो काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण को लेकर कई अन्य धारणाएं भी हैं, काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में है साथ ही इसके पुनर्निर्माण को लेकर कई तरह की विचार भी शामिल हैं, अगर इतिहासकारों कि हम माने तो ऐसा कहा जाता है कि इसका निर्माण अकबर के रत्नों में से एक राजा ने कराया था, जिसका नाम राजा टोडरमल था, और इसकी जानकारी वाराणसी स्थित काशी विद्यापीठ में इतिहास विभाग के प्रोफेसर रह चुके डॉ राजीव द्विवेदी ने बीबीसी के माध्यम से दिया था, साथ ही उन्होंने यह भी बताया था कि विश्वनाथ मंदिर का निर्माण राजा टोडरमल ने कराया था इसका एक ऐतिहासिक प्रमाण भी है, साथ ही उन्होंने यह भी बात बताया कि इसका निर्माण अकबर के आदेश से हुआ था, लेकिन ऐसा माना जाता है कि ऐतिहासिक रूप से यह बात साबित नहीं हुई है राजा टोडरमल की हैसियत अकबर के दरबार में ऐसी थी की उन्हें किसी भी काम को कराने के लिए एक बार भी आदेश लेने की जरूरत नहीं पड़ती थी, लेकिन यह बात अभी तक साबित नहीं हुई है कि यह अकबर के कहने पर ही बनवाया गया था, लेकिन ऐसा मान्यता है कि करीब 100 साल बाद औरंगजेब के शासन में औरंगजेब ने इस मंदिर को ध्वस्त करा दिया था, उसके बाद से लगभग सवा सौ वर्षो से भी अधिक समय तक यहां पर किसी भी मंदिर का निर्माण नहीं हुआ था, लेकिन उसके बाद करीब 1735 में इंदौर की महारानी देवी अहिल्याबाई ने इस काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया, लेकिन अब 1735 से लेकर अभी तक के सफर के बाद काशी विश्वनाथ अब एक नए अवतार में दुनिया के सामने देखने को मिलने जा रहा है, और यह मंदिर 2000 वर्ग मीटर में फैलने के कारण अब लोगों को इसके दर्शन के लिए गलियों से नहीं हो कर आना पड़ेगा, जिसके कारण अब लोगों को किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा साथ ही इस भव्य मंदिर के कारीडोर के लोकार्पण के बाद लोगों को बहुत ही आसानी से बाबा विश्वनाथ के दर्शन मिल जाएंगे |
अगर हम काशी विश्वनाथ मंदिर की महत्व के बारे में बात करें तो ऐसा माना जाता है कि काशी मंदिर भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई है, और यहां पर बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए अन्य प्रदेशों से भी लोग आते हैं, वाराणसी में काशी को पवित्र शहरों में से एक मानने मान्यता प्राप्त है, माना जाता है कि भगवान विश्वनाथ यहां ब्रह्मांड के स्वामी के रूप में निवास किए थे, ऐसा भी माना जाता है कि भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक या काशी विश्वनाथ मंदिर है, और यह ज्योतिर्लिंग मंदिर गंगा नदी के पश्चिम घाट पर स्थित है, साथ ही ऐसा माना जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर माता पार्वती और शिव का सबसे प्रिय स्थान है, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अगर माना जाए तो यहां पर दर्शन करने और गंगा स्नान करने से उन्हें मृत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्त होता है, और उनके पाप धुल जाते हैं |