Sunday, December 26, 2021
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‘अतरंगी रे’ मूवी में अतीत के बुरी यादों से जुड़े मेंटल कंडीशन को क‍िया है हाईलाइट, जानें PTSD के बारे में


पोस्टट्रॉमैटिक
स्ट्रेस
डिसऑर्डर

पोस्टट्रॉमैटिक
स्ट्रेस
डिसऑर्डर
(PTSD),
जिसे
एक
बार
‘शेल
शॉक’
या
‘बैटल
फेटीग
सिंड्रोम’
भी
कहा
जाता
है,
एक
गंभीर
स्थिति
है
जो
किसी
व्यक्ति
द्वारा
एक
दर्दनाक
या
भयानक
घटना
का
अनुभव
करने
या
देखने
के
बाद
विकसित
हो
सकती
है
जिसमें
गंभीर
शारीरिक
नुकसान
या
खतरा
था।
PTSD
दर्दनाक
परीक्षाओं
का
एक
स्थायी
परिणाम
है
जो
तीव्र
भय,
असहायता
या
आतंक
का
कारण
बनता
है।
उन
चीजों
के
उदाहरणों
में
जो
PTSD
ला
सकती
हैं,
उनमें
यौन
या
शारीरिक
हमला,
किसी
प्रियजन
की
अप्रत्याशित
मृत्यु,
दुर्घटना,
युद्ध
या
प्राकृतिक
आपदा
शामिल
हैं।
इस
डिसऑर्डर
के
कारण
पुरानी
बातों
का
बार-बार
याद
आना,
बुरे
सपने
आना
और
ध्यान
केंद्रित
ना
कर
पाने
जैसी
समस्याएं
होती
हैं।

ये है PTSD के लक्षण

ये
है
PTSD
के
लक्षण


बुरे
सपने
आना

PTSD
के
कारण
पीड़ित
को
रात
में
बुरे
सपने
आने
लगते
हैं।
जो
नींद
पर
भी
बुरा
असर
डालते
हैं।


एक
घटना
का
बार-बार
याद
आना

जिस
घटना
का
पीड़ित
पर
बुरा
असर
हुआ
है
वह
बार-बार
याद
आती
है
इस
कारण
वो
इससे
बाहर
नहीं
निकल
पाता।


ध्यान
केंद्रित
करने
में
परेशानी
होना

पीड़ित
घटनाक्रम
से
अपना
ध्यान
ही
नहीं
हटा
पाता
इस
कारण
वो
और
किसी
चीज
पर
ध्यान
नहीं
दे
पाता।


चिड़चिड़ापन

इस
मेंटल
डिसऑर्डर
में
व्यक्ति
चिड़चिड़ा
हो
जाता
है
और
किसी
से
भी
ज्यादा
बात
करना
पसंद
नहीं
करता।


घटना
से
जुड़ी
बातों
को
इग्‍नोर
करना

जब
पीड़ित
से
कोई
घटना
के
बारे
में
बात
करता
है
तो
वे
इस
बारे
में
बात
करने
के
बचने
लगता
है।


पैनिक
अटैक
आना

इसमें
कई
बार
पीड़ित
को
पैनिक
अटैक
फील
होता
है।
वो
फिर
से
उसी
घटना
में
खो
जाता
है
जिसका
उसे
आघात
पहुंचा
है।


चीजों
का
याद
ना
रहना

इससे
चीजों
को
याद
रखने
में
परेशानी
आने
लगती
है।
क्योंकि
पीड़ित
के
दिमाग
में
बस
बुरी
घटना
के
खयाल
ही
आते
रहते
हैं।

ये चीजें करें

ये
चीजें
करें

  • व्यक्ति
    को
    अपने
    नजदीकी
    रिश्‍तेदारों
    और
    दोस्‍तों
    से
    मिलते
    रहना
    चाह‍िए
    और
    उन्हें
    परेशानी
    बतानी
    चाह‍िए।
  • रोजाना
    एक्सरसाइज
    करे।
  • समय
    पर
    नाश्ता
    और
    खाना
    ले।
  • पॉजिटिव
    सोच
    बनाएं।
  • नकारात्मक
    लोगों
    से
    दूरी
    बनाकर
    रखें।
  • ये थैरेपी राहत देती हैं

    ये
    थैरेपी
    राहत
    देती
    हैं

    इस
    बीमारी
    का
    इलाज
    मनोवैज्ञानिक
    द्वारा
    ही
    किया
    जा
    सकता
    है।
    यह
    इलाज
    लंबे
    समय
    तक
    या
    फिर
    जिंदगीभर
    चल
    सकता
    है।
    इस
    दौरान
    मरीज
    के
    ट्रीटमेंट
    के
    लिए
    काउंसलिंग,
    हिप्नोसिस
    और
    दवाइयों
    का
    सहारा
    लिया
    जाता
    है।


    बिहे​वियरल
    थैरेपी
    :

    इस
    थैरेपी
    में
    पीड़ित
    व्यक्ति्
    से
    बातचीत
    करते
    उसके
    बिहेवियर
    को
    समझा
    जाता
    है।
    साथ
    ही
    नकारात्मक
    विचार
    का
    कारण
    जानकार
    उसे
    दूर
    करने
    की
    कोशिश
    की
    जाती
    है।


    आघात
    केंद्रित
    सीबीटी
    :

    इसमें
    पीड़ित
    को
    जिस
    घटना
    से
    इसे
    आघात
    पहुंचा
    है
    उस
    बारे
    में
    बात
    की
    जाती
    है।


    रीप्रोसेसिंग
    थैरेपी
    :

    इसमें
    पीड़ित
    को
    चिकित्सक
    की
    अंगुली
    को
    देखते
    हुए
    अपने
    आघात
    के
    बारे
    में
    बातें
    करने
    को
    कहा
    जाता
    है।
    इसे
    कारगर
    तरीका
    माना
    जाता
    है।

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