तापमान में यह गिरावट कई कारणों से हो सकती है। इनमें ग्रह की कैमिस्ट्री, मौसम के पैटर्न और सूर्य में होने वाला परिवर्तन शामिल है। पिछले 17 साल से नेप्च्यून का ऑब्जर्वेशन करने के लिए कई टेलीस्कोप का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन टेलीस्कोप का इस्तेमाल करने वाले खगोलविदों ने ग्रह के तापमान में चौंकाने वाली गिरावट देखी है।
इस स्टडी को सब-सीजनल वेरिएशन इन नैप्च्यून्स मिड इफ्रारेड इमिशन नाम से द प्लैनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है। स्टडी बताती है कि पृथ्वी की तरह नेपच्यून के भी मौसम हैं, लेकिन वो बहुत लंबे समय तक चलते हैं। नेपच्यून में जबतक एक वर्ष खत्म होता है, तबतक पृथ्वी पर 165 वर्ष गुजर जाते हैं और वहां एक मौसम लगभग 40 साल तक चल सकता है।
स्टडी के दौरान वैज्ञानिक नेपच्यून ग्रह के मौसमी पैटर्न को समझना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने नेपच्यून के दक्षिणी हिस्से में ग्रीष्म संक्रांति के दौरान तपमान में बदलाव को ट्रैक करने के लिए इस ग्रह की लगभग 100 थर्मल-इन्फ्रारेड इमेजेस को देखा। वैज्ञानिक यह समझ रहे थे कि गर्मियां आ गई हैं, लेकिन थर्मल इमेजेस से पता चला कि साल 2003 और 2018 के बीच तापमान में 8 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आ गई थी और ग्रह का ज्यादातर हिस्सा ठंडा हो गया था। हालांकि जल्द ही दक्षिणी ध्रुव अचानक गर्म हो गया।
साल 2018 और 2020 के बीच दक्षिणी ध्रुव में तापमान में 11 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी देखी गई। ग्रह का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों को इस बदलाव की उम्मीद नहीं थी। उन्होंने अपनी स्टडी को द प्लैनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित किया है।
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