नई दिल्लीः कोविड 19 के बाद से सभी कुछ ऑनलाइन हो गया है. बच्चों की पढ़ाई से तक ऑनलाइन हो गई है. लेकिन क्या सचमुच ऑनलाइन पढ़ाई किताबों की ही तरह इफेक्टिव है? हाल ही में शोधकर्ताओं ने इस पर रिसर्च की और जाना कि पेपर और स्क्रीन में से सीखने के लिए ज्यादा बेहतरीन तरीका कौन सा है.
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किसने की रिसर्च
नॉर्थ डकोटा विश्वविद्यालय में एजुकेशन, हेल्थ और बिहेवियर की प्रोफेसर वर्जीनिया क्लिंटन ने इस शोध को अंजाम दिया जिसमें उन्होंने स्क्रीन और पेपर से पढ़ने के बीच छोटा लेकिन महत्वपूर्ण अंतर पाया. इस शोध के माध्यमक से वर्जीनिया पढ़ने के प्रदर्शन, पढ़ने की गति और सोचने-विचारने के कौशल पर फोकस करना चाहती थीं.
पहले भी हो चुके हैं शोध
शोधकर्ता कई सालों से ये जांच कर रहे हैं कि स्क्रीन किसी व्यक्ति के पढ़ने की गुणवत्ता को कैसे प्रभावित कर सकती है. पत्रिका साइंटिफिक अमेरिकन के मुताबिक, 1980 के दशक से इस मुद्दे पर अब तक कम से कम 100 से अधिक शोध पब्लिश हो चुके हैं.
स्क्रीन पर अधिक सर्तकता से नहीं पढ़ा जाता
1990 के दशक की शुरुआत तक कई शोधों के नतीजों में पाया गया कि लोग पेपर की तुलना में स्क्रीन पर अधिक धीरे और कम सटीकता के साथ पढ़ते हैं. हालांकि, बाद में इससे संबंधित हुए शोध अलग-अलग परिणाम दिखाते हैं.
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स्क्रीन पर पढ़ने में हुआ है सुधार
पिछले कुछ सालों की रिसर्च बताती है कि तकनीकी सुधारों से लोगों के स्क्रीन पर पढ़ने की गुणवत्ता में भी सुधार देख गया है.
शोध के नतीजे
शोध में वर्जीनिया ने पिछले 2008 से 2018 तक के ऐसे 33 ऐसे शोधों को शामिल किया जिनमें पेपर और स्क्रीन रीडिंग की जांच की गई थी. रिसर्च के नतीजों में पाया गया कि पेपर से पढ़ने के दौरान समझ बेहतर होती है और परीक्षा के प्रदर्शनों में सुधार होता है. साथ ही पेपर रीडिंग को अधिक कुशल पाया गया, क्योंकि यदि आप पेपर से पढ़ रहे हैं, तो इससे आपका दिमाग अधिक सोचता है जिससे चीजों को जल्दी समझना आसान होता है. वहीं शोध में ये भी पाया गया कि स्क्रीन रीडर्स ओवर कॉन्फिडेंड, अधिक विचलित, कम फोकस्ड हो सकते हैं.
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